बिन प्रेम सब सूना है जग में,प्रेम ही है हर रिश्ते का सार,जिसने पढ़ ली प्रेम की पाती, समझो अपना जीवन लिया संवार,प्रेम संवेदना के पिता है,और संवेदना का ममता से है माता का नाता,संवेदनशील होना है बहुत ज़रूरी,इंसान क्यों सब ये है भूलता जाता,नियत समय के लिए ही तो हम सब को किरदार अपना अपना निभाना है,क्यों न निभाएं इसको सही तरह से,इस जग को छोड़ कर जाना है,ज़रा सोचिए