जी चाहता है फलक से तोड़ के ले आऊं आज में ढेरों तारे जी चाहता है दुआओं की सरगम से कोई दिल से पुकारे जी चाहता है प्रेम वृक्ष की कलियाँ नवयुगल का जीवन सवारे जी चाहता है आये लेना हमे भी किसी के दर्द उधारे जी चाहता है मौज़ ले आये भटकते हुओं को किनारे जी चाहता है हम याद करें आज उन अपनों को जिनके होने से ही हैं अस्तित्व हमारे जी ही तो है,कुछ भी चाह सकता है