Skip to main content

Posts

Showing posts with the label फलक से तोड़ लाऊं

जी चाहता है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जी चाहता है फलक से तोड़ के ले आऊं आज में ढेरों तारे। जी चाहता है दुआओं की सरगम से कोई दिल से पुकारे।। जी चाहता है  प्रेम वृक्ष की कलियाँ नवयुगल का जीवन सवारे। जी चाहता है आये लेना हमे भी किसी के दर्द उधारे।। जी चाहता है मौज़ ले आए  भटकते हुओं को किनारे। जी चाहता है हम याद करें  आज उन अपनों को जिनके होने से ही हैं अस्तित्व हमारे।। जी चाहता है वक्त का पहिया फिर से घूम जाए,मिल जाएं फिर वे जो बिछड़ गए हमसे थे जो हमे जान से भी प्यारे।। *जी ही तो है,कुछ भी चाह सकता है*       स्नेह प्रेमचंद