Skip to main content

Posts

Showing posts with the label फिर वही मां मिले

मांग लूं मैं मन्नत (Thought by Sneh premchand)

मांग लूं मैं मन्नत फिर वही मां मिले, वही धरा मिले,वही आसमां मिले।। वही आंचल मिले मुझे मेरी मां का, जिसे कर भी दूं मलिन गर अपने मलिन हाथों से, तो भी लबों पर उसके, मुस्कान ही    खिले।। मां है तो समझो, पंखों को परवाज़ मिले।। वही लोरी सुनु मैं फिर से, वही अपना सा स्पर्श मिले। उसी चमन का हिस्सा बनूं मैं, उसी जन्नत में गुल ए ज़िन्दगी खिले।। मांग लूं मैं मन्नत,फिर वही जहां मिले।। वही धरा मिले,मुझे वही आसमां मिले।। ज़िन्दगी के इस अग्निपथ पर, मां तेरी ही ठंडी छांव मिले। अनायास ही बड़ी हो गई हूं मैं, जी चाहता है फिर बच्ची बन, सिमट जाऊं तेरे अंक तले।। मुझे फिर से,वही मेरी मां मिले।। न रुकती थी कभी,न थकती थी कभी, कैसे संभव है ये, कोई बस, चले ही चले। मां का आशीर्वाद हो गर संग, फिर वो बच्चा फले ही फले।। मांग लूं मैं मन्नत,फिर वही मेरी मां मिले।। मेरी ज़िन्दगी को बुन दिया मां,  तूने उन प्रेम सिलाईयों में ऐसे, जिसकी नरमी और गरमी से मेरा अस्तित्व खिले। मांग लूं मैं मन्नत, मुझे फिर वही मेरी मां  मिले।।   कितने भी इत्र इजाद हो जाएं,  इस जग में, पर म...