खूबियों संग खामियां भी रहती है एक ही आशियाने तले। सराहना संग आलोचना भी होती है एक ही आशियाने तले।। धूप संग छांव भी आती है एक ही आशियाने तले।। सुख संग दुख भी होते हैं एक ही आशियाने तले।। उतार संग चढ़ाव भी होते हैं एक ही आशियाने तले।। विकास संग ह्रास भी होता है एक ही आशियाने तले।। सुख दुख एक ही सिक्के के हैं दो पहलू,एक गुज़ारिश है बस ईश्वर से, हर हालात में प्यार ही प्यार पले।। स्नेह प्रेमचंद