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अनुशासन ज़रूरी है

जैसे कूलर में पानी ज़रूरी है जैसे गुब्बारे में हवा ज़रूरी है जैसे दिल मे धड़कन ज़रूरी है जैसे मा में ममता ज़रूरी है जैसे बीमारी में दवा ज़रूरी है जैसे सूरज में तेज ज़रूरी है जैसे प्रकृति में हरियाली ज़रूरी है जैसे सांस लेने के लिए पवन ज़रूरी है जैसे चोट पर मरहम ज़रूरी है जैसे गाड़ी में पेट्रोल ज़रूरी है जैसे किताब में अल्फ़ाज़ ज़रूरी है जैसे मटके में मिठास ज़रूरी है जैसे सावन में बरखा ज़रूरी है जैसे पलँग पर तकिया ज़रूरी है जैसे मा के लिए बेटी ज़रूरी है जैसे पिता में सुरक्षा ज़रूरी है जैसे प्राणी में करुणा ज़रूरी है वैसे ही रिश्ता बनाये रखने के लिए संवाद ज़रूरी है।।।।।

ज़रूरी है

करुणा जरूरी है

बहुत गर्म होता है सूरज

बेशक बहुत गर्म होता है सूरज, पर उसका होना होता है बहुत ज़रूरी। सर्वत्र अंधेरा हो जाता है रवि बिन, पिता बिना हर इच्छा अधूरी।। *बाजार का हर खिलौना अपना है* गर पिता का सर पर है साया। वो दिखाता नही कुछ,पर करता है बहुत कुछ, पितृऋण से नही कोई मुक्त हो पाया।। स्नेह है पिता,सुरक्षा है पिता,सहजता है पिता,हक और अधिकार है पिता। इजहार बेशक ना हो पर अनुभूति का सार है पिता। हमारे अतीत,वर्तमान और भविष्य तीनो के बारे में सोचने वाला होता है पिता। आजीवन हमारी थाली में रहे रोटी, ऐसा सदा ही सोचता है पिता। हमारा आत्मसम्मान सदा बना रहे, जीवन पथ अग्नि पथ ना बन कर सहज पथ बना रहे, इसी कशमकश में सदा रहता है पिता। करता तो बहुत कुछ है बेशक बहुत कुछ कहता नहीं पिता।।       स्नेह प्रेमचंद

समय देना

सबसे ज़रूरी प्रेम

आत्म निरीक्षण(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

ज़रूरी है

संकल्प ज़रूरी है

हमसफर का साथ

जीवन के सफर में हमसफ़र का साथ होता है बहुत ज़रूरी,प्रेम और विश्वास से सींचे गये इस रिश्ते में आये न कभी कोई भी दूरी,है इसी भाव से ओत प्रोत ये नाता प्रेम का,साथ एक दूजे का कर देता है हर शाम सिंदूरी,साथ न छुटे, ये नाता न टूटे,आ जाये चाहे कोई भी मजबूरी

ऐसे संवाद ज़रूरी है (((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)))

जैसे कूलर में पानी ज़रूरी है जैसे गुब्बारे में हवा ज़रूरी है जैसे दिल मे धड़कन ज़रूरी है जैसे मा में ममता ज़रूरी है जैसे बीमारी में दवा ज़रूरी है जैसे सूरज में तेज ज़रूरी है जैसे प्रकृति में हरियाली ज़रूरी है जैसे सांस लेने के लिए पवन ज़रूरी है जैसे चोट पर मरहम ज़रूरी है जैसे गाड़ी में पेट्रोल ज़रूरी है जैसे किताब में अल्फ़ाज़ ज़रूरी है जैसे मटके में मिठास ज़रूरी है जैसे सावन में बरखा ज़रूरी है जैसे पलँग पर तकिया ज़रूरी है जैसे मा के लिए बेटी ज़रूरी है जैसे पिता में सुरक्षा ज़रूरी है जैसे प्राणी में करुणा ज़रूरी है वैसे ही रिश्ता बनाये रखने के लिए संवाद ज़रूरी है।।।।।

संकल्प ज़रूरी है