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तबले की थाप सी

तबले की थाप सी, बांसुरी के राग सी, हारमोनियम के सुर सी, सारंगी की सरगम सी, सितार के वादन की, ढोलक की ताल सी, लयबद्ध हो जाती है ज़िन्दगी, जब माँ बाप का साया सिर पर होता है।। कोई चित चिंता नहीं रहती फिर, इंसा जब उनके साए तले होता है।।