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तेरी यादों का सैलाब

तेरी यादों का सैलाब बाज औकात ऐसे आता है जैसे लहरों का रेला सागर से साहिल पर जाने क्या क्या ले आता है आ कर ऐसे ठहर जाता है जैसे रुंधे गले में कोई शब्द अटक जाता है