*मध्यप्रदेश के उज्जैन में विराजित हैं बाबा महाकाल* *धरा का नाभिस्थल* भी कहा जाता है इसे, महता बढ़ रही सालों साल कर्क रेखा भी यहीं से है निकलती, है ना कितना अदभुत कमाल *चीर धरा का सीना यहां हुए प्रकट थे महाकाल* दैत्यआतंक से मुक्ति दिलाने के लिए रूप धरा था अति विकराल शिवरात्रि पर नौ दिन बाबा का अलग अलग रूपों का होता है श्रृंगार साल में इसी दिन दोपहर में होती है भस्म आरती, लागे जैसे महोत्सव पर्व उल्लास त्योहार।। हर सुबह भस्म आरती,दिन भर बाबा का मोहक श्रृंगार नयन ही नहीं रूह तृप्त हो जाती है, करे मन निहारूं बारंबार।।