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यही प्रेम है

यही प्रेम है

सबकी सुन लेती है मां

माँ सुन लेती है सबकी, बिन कहे ही मन की लेती है जान। न कोई था,न कोई है,न कोई  होगा माँ से बढ़ कर कभी महान।। मानो चाहे या न मानो, माँ कुदरत का सर्वोत्तम वरदान। । एक अक्षर के छोटे से शब्द में सिमटा हुआ है पूरा जहान।। मां तो है वो संजीवनी बूटी, देती है जो जीवन दान।। मां ही सत्य,मां ही शिवम,मां ही सुंदरम मां बिन जीवन है सुनसान।।

वो मां कहलाती है