*सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं दूंगा* शांति प्रस्ताव ले कर गए माधव को दुर्योधन ने यह कटु वाणी सुनाई कितना भीषण रक्तपात और हुआ नर संहार,रुदन क्रंदन की सिसकी आज भी देती है सुनाई *विनाश काले विपरीत बुद्धि* उक्ति ये सार्थक हो आई एक ओर भरत को देखो नहीं छुआ सिंहासन,मां ने जिसके लिए अपनी पूरी शक्ति लगाई चरण पादुका ला कर भाई राम की १४ बरस वही सजाई भरत सा बनना दुर्योधन सा नहीं बात ये इतनी समझ में आई