बस एक बार वे देदे दरस thought by Sneh premchand November 05, 2020 बेशक माधो न आएं, बेशक वो मुरली न सुनाएं, बस एक बार वो दे दे दरस, ओ माधो हम भव सागर से तर जाएं।। स्नेह प्रेमचंद Read more