तमस से आलोक की ओर अधर्म से धर्म की ओर असत्य से सत्य की ओर रजनी से भोर की ओर अवसाद से उल्लास की ओर संशय से विश्वास की ओर ख्वाब से हकीकत की ओर बेचैनी से सहजता की ओर जड़ से चेतन की ओर भटकाव से मन्ज़िल की ओर विषाद से जिजीविषा की ओर अकर्मण्यता से कर्मठता की ओर चिंता से चितन की ओर प्रतिशोध से क्षमा की ओर अज्ञान से ज्ञान की ओर वेदना से मरहम की ओर अहम से वयम की ओर सवः से सर्वे की ओर स्वार्थ से परमार्थ की ओर संचय से अपरिग्रह की ओर हिंसा से अहिंसा की ओर भौतिकता से प्रकृति की ओर नास्तिकता से आस्तिकता की ओर घृणा से प्रेम की ओर निष्ठुरता से करुणा की ओर विषमता से समता की ओर दुर्भावना से सद्भावना की ओर पाप से पुण्य की ओर मोह से त्याग की ओर पराजय से विजय की ओर ह्रास से विकास की ओर हठधर्मिता से विनम्रता की ओर क्रंदन से वंदन की ओर बंजर से उर्वर की ओर साम्प्रदायिकता से धर्म निरपेक्षता की ओर निरक्षरता से साक्षरता की ओर अराजकता से शांति सौहार्द की ओर हे माधव ! आज आप को ही तो लेकर जाना है। आज जीवन के कुरुक्षेत्र में विचलित हो रहे हैं जा...