भाई बहिन के स्वार्थरहित प्रेम का प्रतीक है भाई दूज का पावन त्यौहार,सबसे लंबे साथ के साथी,लड़ते,झगड़ते,पर फिर भी मन से करते प्यार,नये रिश्तों के नए भंवर में बहना उलझ सी जाती है,पर शायद ही कोई शाम होगी ऐसी,जब याद उसे न आती है,परदेस में भी अपनी सोच में वो सदा जगह भाइयों को देती है,कुछ लेने नही आती हैं पीहर बहने,बस कुछ बचपन के पल बाबुल के आंगन से चुपके से चुरा लेती है,पर समय की कैसी चलती है अजब गजब पुरवाई, एक अनोखी औपचारिकता ने धीरे धीरे इस रिश्ते में जगह बनाई,वो लड़,झगड़ कर एक हो जाने वाले,बाद में आम सी बात कहने का भी खो देते है अधिकार,क्या यही होता है आप बताओ भैया दूज का पावन त्यौहार