बहुत ही प्यारा,बहुत ही न्यारा होता है भाई बहन का निर्मल नाता। एक ही उपवन के दोनो डाल पात हैं, मिलन एक दूजे से,सुख दे जाता।। मात पिता का प्यारा अक्स भी अक्सर एक दूजे में नजर है आता।। एक ही आंगन,एक ही बागबान, ये नाता दिनों दिन और भी गहराता।। बेशक समय संग जुदा हो जाती हैं राहें,बस जाते हैं अलग अलग दोनो के ही आशियाने। कुछ नए रिश्ते जुड जाते हैं जीवन में,कुछ बहुत ही अपने,कुछ बेगाने।। पर ये नाता तो चलता है ताउम्र जीवन में, इसका जिक्र ही जेहन को तरोताजा कर जाता। सब्से लंबा साथ है ये जगत में, अंदाज ए गुफ्तगू भी एक दूजे का भाता।। बहना की एक पुकार पर भाई कहीं भी हो,दौड़ा चला आता। स्नेह प्रेमचंद