माँ से बढ़कर नहीं जीवन में कोई भी छाया, भाग्यशाली है वो इंसा, मातप्रेम है जिसने पाया।। आस है माँ,विश्वास है माँ,तन में जैसे श्वास है माँ, माँ है तो ये फ़िज़ां है सुंदर, सुर की मीठी सरगम माँ।। आदित्य का तेज है माँ, है माँ ही इंदु की शीतल छाया। भाग्यशाली है वो इंसा, मातप्रेम है जिसने पाया।। माँ चली जाती है जब इस जग से, हो जाता है सूना ये संसार। माँ के अस्तित्व से है अस्तित्व हमारा, माँ सृष्टि को,ईश्वर का सर्वोत्तम उपहार।। नहीं समझते कीमत इस उपहार की हम, सोच अपनी को,है हमने ही पंगु बनाया। माँ से बढ़ कर नहीं जीवन मे कोई भी छाया।। माँ के लिए तो बच्चे ही होते उसका पूरा संसार, पर बच्चों के संसार में क्यों कहीं खो सी जाती है वो, इस सोच का समझ ही नही आया आधार।। हमारी प्राथमिकताओं में ही नहीं रहती माँ, माँ के दूध को हमने है लजाया। लगे तोलने माँ के प्यार को, माँ तो है अनमोल सा साया।। भाग्यशाली है वो इंसा, जिसने मातप्रेम है पाया।। माँ के जाने से पल भर में ही, हम बड़े हो जाते हैं। एक माँ का आँचल ही तो है ऐसा, जहाँ सुकून हम पाते हैं।। माँ सुकून है,माँ शांति है,सहजता के दूसरा पर्याय है मा...