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प्रेम

पढ़ सको तो। by snehpremchand

पढ़ सको तो पढ़ लेना प्रिय मेरे नयनों की सीधी सी भाषा। लब शायद न कर पाएं बयां पर खामोशी की भी होती है भाषा।। सजल हों नयन,हो भाव प्रबल तब पक्का ही  होगी कोई न कोई तो बात हर बात बताई नही जाती, खामोशी पहुंचाती है आघात।। शक्ल देख हरारत पहचानने वाली माँ सा तुम भी प्रिय बन जाना, नाज़ुक सा है ये दिल मेरा, देखो कभी न मुझे रुलाना।।         स्नेहप्रेमचन्द