Skip to main content

Posts

Showing posts with the label भोर होते ही जो जेहन में आए

*वही मित्र है*(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*भोर होते ही जो आ जाए जेहन में*  **वही मित्र है** **कह सकें हम जिनसे बात दिल की** **वही मित्र हैं**  *संवाद सुस्ता भी जाए पर संबंध  गहराते जाएं*  **वही मित्र है** *औपचारिकता की जिनसे नहीं होती कोई जरूरत*  **वही मित्र हैं*" *जाति,धर्म,रंगभेद,प्रांत,शहर,आयु हर सरहद से जो पार खड़े हैं* **वही मित्र हैं**  *सहजता दामन नहीं चुराती संग जिसके*  **वही मित्र है**  *ना गिला, ना शिकवा, ना शिकायत हो चित में जिसके* **वही मित्र है**  *आहत मन को जो दे दे राहत*  **वही मित्र है** *No sorry,No thanku की  जहां कोई जरूरत न हो कभी* **वहीं मित्रता है**  *खुद मझधार में हो कर भी जो साहिल का पता बताए* **वही मित्र है**  *दिशाहीन जीवन को जो दिशा प्रदान करें*  **वही मित्र है**  *हर ले जो तमस जो जीवन से और भर दे उजियारे*  **वही मित्र है** *जीवन की राह जो सरल बना दे*  **वही मित्र है**  *हर लम्हा जीवंत और खास बन जाए संग जिसके*  **वही मित्र है**  *हमारी चेतना में जो उल्लास का करदे सृजन*  **वही मित्र है**...