शिवोपासना के पर्वों में, महाशिवरात्रि है सबसे न्यारा। शिव सौम्य हैं तो रुद्र भी हैं सच जाने अब ये जग सारा।। दोनों के ही अधिपति शिव, सृजन हो या हो संहार। विरोधी भावों का अदभुत सामंझस्य शिव में, नष्ट होते शिवपूजा से समस्त विकार।। शिव मस्तक पर चन्द्र है तो, कंठ में उनके सर्पों का हार। गृहस्थ होते हुए भी वीतरागी हैं वे, भूत, प्रेत,सर्प,नन्दी सब उनका परिवार।। शिवोपासना में है इतनी शक्ति, देती है ये भगति और मुक्ति, ध्यान किया जिसने शिव का सच्चे मन से, लागे पूरा जग फिर उसको प्यारा। शिव सौम्य हैं तो रुद्र भी हैं, सच जाने अब ये जग सारा।। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को, पर्व शिवरात्रि का मनाया जाता है। आलौकिक शक्तियों का धरा पर आना, सबको तहे दिल से भाता है।। बेलपत्र और धतूरे हैं भोले को अति प्यारे। उनसे ही खुश हो जाते हैं भोलेबाबा सबसे न्यारे।। महामृत्युंजय को शिव आराधना का महामन्त्र कहा जाता है। करके जाप इस मंत्र का इंसा, मौत से जीवन छीन कर लाता है।। लय प्रलय दोनों में लीन हैं शिव, आशुतोष नाम है कितना प्यारा। शिवोपासना के पर्वों में महाशिवरात्रि है सबसे न्यारा।। मृगछाल,त्रिशूल और डमरू, है...