सफर thought by sneh premchand August 19, 2020 बहुत अजीब है ये सफर ज़िन्दगी का, अपनी अपनी मंज़िल सबकी, अपना अपना आशियाना है। सही समय पर सही समझ सबको तो नही आती, अधिकांश को जब आती है, उस समय तो वापस लौट कर जाना है।। स्नेह प्रेमचन्द Read more
लक्ष्य June 19, 2020 बिन लक्ष्य ऐसी है जिंदगी जैसे बिन मन्ज़िल के कोई सफर। बिन मांझी होती है नाव कोई जब दरिया में,जाने लहरें ले जाएंगी किधर।। Read more