गाँठ जितनी मज़बूती से लगी होगी,उतना ही उसको खोलना मुश्किल होगा,यही बात रिश्तों पर भी लागू है,किस की किस रिश्ते की गांठ कितनी मज़बूत है,यह उस व्यक्ति के दुनिया से जाने के बाद पता चलता है,जिनकी गांठ हल्की सी लगी होती है,वो जल्दी भूल कर जल्दी सहज हो जाते है,पर जिन्होंने यह गाँठ ताउम्र मज़बूती से बाँधी हो,उन के लिए उस व्यक्ति विशेष को भुलाना आसान नही होता,कभी कभी तो समय की मरहम भी काम नही करती