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हल नहीं है हाला thought by snehpremchand

हर समस्या का हल तो नहीं हो सकती है हाला।  ला देती है तमस जीवन में,हर लेती है उजाला।। जाने कहां कहां, कितनी तादाद में बनी हुई हैं मधुशाला??  कितने ही आशियाने उजड़ जाते हैं इसके नशे में,  कितने ही भूखे पेटों को नहीं मिलता निवाला।। बेहिज, स्वार्थी बना देती है इंसा को, जैसे अपने ही रंग में हो रंग डाला।।       Snehpremchand