चलो मन, जहाँ बहती हो जग में पावन प्रेमधारा,चलो मन,जहाँ सच्ची ममता का मिलता हो सहारा,चलो मन,जहाँ न हो बिछोड़ा कोई भारी, चलो मन,जहां भेद भाव की सुलगती न हो कोई चिंगारी,चलो मन,जहां मजबूरी बन जाये अधिकार,चलो मन,जहां हो सिर्फ प्यार ही प्यार
हम जो देखना चाहते हैं,वही देखते हैं। हम जो सुनना चाहते हैं, वही सुनते हैं। हम जो पसन्द करते हैं, उसी को तवज्जो देते हैं। हम झूठ बोलते हैं कि समय नही हाल जानने का, हम उसी का हाल पूछते हैं, जिसका पूछना चाहते हैं।। Snehpremchand