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मतभेद भले ही हो जाएं

मतभेद भले ही हो जाएं पर मनभेद की ना चले बयार भिन्न विचारधारा तो होगी ही पर हो एक दूजे के लिए प्यार संवाद खत्म हो जाते हैं तो संबंध पड़े सुस्ताते हैं जीवन के ये छोटे छोटे सत्य हम क्यों समझ नहीं पाते हैं नहीं समझोगे तो निश्चित ही नातों में आ जाएगी दरार मतभेद भले ही हो जाए मनभेद की ना चले बयार बाध्यता नहीं हमारा चयन है मित्रता विश्वास,प्रेम,अपनत्व ही होता इसका सार एक भी गायब है गर तीनों में से चित में पनपने लगते हैं विकार गिरह है चित में तो कोई खोल लो प्रेम ही हर नाते का आधार स्पेस,सम्मान,स्नेह तीनों ही  मित्रता के आधार स्तंभ कहलाते हैं संवाद,संबंध,मुलाकात तीनों ही होते हैं गर गहरे,फिर नाते मन से जुड़ जाते हैं छोटी सी बात को समझो मित्रों वरना फिर फांसले वढ जाते हैं सुलह की संभावनाएं हौले हौले लगती हैं दरकने, पुराने अध्याय खत्म हो जाते हैं बात समझ में आई हो तो कुछ कर लेना दरगुज़र कुछ कर लेना दरकिनार मतभेद भले ही हो जाए मनभेद की ना चले बयार हर बार तो सुलह करवाने वाले भी नहीं मिला करते, करो चित को निर्मल मित्रता का करो मधुर वाणी से श्रृंगार