मलिन मनों से अहंकार का जब हट जाएगा धुंध कुहासा , मरुधर में भी लगेगा ऐसे जैसे आ गया हो चौमासा ।। प्रेम की जब आएगी सुनामी मीनार ए नफरत ध्वस्त हो जाएगी। सब अपने हैं,हम सबके हैं, एक यही प्रेम की परिभाषा ।। करोगे विचरण जब अंतर्मन के गलियारों में,लेगी जन्म सुंदर सी आशा। स्नेहप्रेमचंद