जब तक मन में दुर्योधन नहीं, कोई शकुनी महाभारत का कारण नहीं बन सकता। जब तक मन में केकई ना हो, कोई मंथरा आपका हृदय परिवर्तन नहीं कर सकती,। जब तक मन में धृतराष्ट्र सी महत्वाकांक्षा ना हो,कोई महाभारत नहीं हो सकता।। स्नेह प्रेमचंद
हर अर्जुन को लड़ना पड़ता है स्वयम ही महाभारत अपना स्वयम ही करना पड़ता है मुसीबतों का सामना। अर्जुन को तो फिर भी मिल गए थे कान्हा से सारथी औरों को तो बिन सारथी के भी पड़ता है चलना।।