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कहां नहीं हो तुम नारी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कहां नहीं हो तुम नारी????? हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया और परिचय क्या दूं तेरा????? मंगल पर तिरंगा तूने फहराया नारी ही तो है जग में ऐसी जिसने मकान को घर बनाया मां,बहन,बेटी,पत्नी,दादी,नानी हर किरदार बखूबी निभाया अपनी क्षमताओं का किया दोहन असंभव को संभव कर के दिखाया देश के सर्वोच्च पद पर आसीन है आज की नारी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू फर्श से अर्श तक का सफर कर के दिखाया  वित्तमंत्री सीता रमण,शिक्षिका लेखिका सुधा मूर्ति,मिसाइल वुमन डॉक्टर टेस्टी थॉमस सब काबिल ए तारीफ हैं  नारी शक्ति का किसी ने पार ना पाया नहीं क्षेत्र अछूता कोई भी ऐसा जहां नारी ने अपनी शक्ति का ना हो डंका बजाया अपने अथक प्रयासों से संकल्प को सिद्धि से मिलवाया लड़ाकू विमान तेजस उड़ा रही महिला पायलट,सूर्य मिशन का भी कर नेतृत्व नारी ने हर क्षेत्र में परचम लहराया स्पोर्ट्स,सिनेमा,डिजाइन,विज्ञान, कला कहां नहीं नारी का साया शिक्षा भाल पर नारी ने ही तिलक संस्कारों का लगाया पहली शिक्षक,पहली मित्र, पहली मार्गदर्शक हर नारी रूप चित में शीशे सा उतर आया *धरा सा धीरज उड़ान गगन सी* हर रूप तेरा मन को भाया रीढ़ की हड्...

सीधा सा गणित