माँ से ही सुंदर है ये जहान, कुदरत का माँ अनमोल वरदान। प्रेम आधार है माँ की ममता का, हो जाए हमसब को भान।। हर शब्द पड़ जाता है छोटा, जब माँ का करने लगो बखान। न कोई था,न कोई है,न कोई होगा, माँ से बढ़ कर कभी महान।। माँ बिन सूना है ये संसार, माँ ही जोड़ती है रिश्तों के तार। हमारे बिखरे बिखरे से जीवन को, असंख्य बार माँ ही तो देती है सँवार।। अगाध प्रेम की गाथा है माँ, वात्सल्य की मूरत है माँ, पूरे जग में कहीं ढूंढ लो, सबसे मोहिनी सूरत है माँ।। ओस की बूंद हैं बच्चे तो, माँ सागर की है गहराई। उसकी ममता के सागर में, हमने ही न डुबकी लगाई।। इसे कहें विडंबना या दुर्भाग्य, जीते जी माँ के ये बात समझ न आई। क्यों देते हैं जीवन की साँझ में उसे तन्हाई।। सुख में है माँ,दुख में है माँ, हर लम्हे,हर शै में है माँ, बड़े बड़े सपने दिखाती माँ, पंखों को परवाज़ दिलाती मां, खुद पिस पिस कर औलाद का जीवन, सरल,सहज सा बनाती माँ, कर्मयोगिनी,ममता की देवी, सच मे खुदा का है वरदान। एक बात आती है समझ में, माँ से ही सुंदर है ये जहान।। हर शब्द पड़ जाता है छोटा, जब माँ का करने लगो बखान।। रिश्तों के ताने बानो को माँ, सहजता से लेती ...