अनहद नाद से मधुर है माँ की लोरी,छप्पन भोग से स्वादिष्ट है माँ के हाथ की चटनी रोटी,त्रिलोक से अधिक सुकून है माँ के आंचल में,कोयल से मीठी है माँ की आवाज़,हर दिन उत्सव है माँ के साथ,माँ प्रेम की वो किताब है जिसे पढ़ना तो सब को आता है,पर सहेजना नही,संगीत के सात सुर है माँ,गीता ,कुरान ,रामायण है माँ,अधिक तो कहना नही आता,बस बहुत ज़रूरी है माँ