बीत गए दिन ,माँ के बिना रे,सहज से रहे ना,माँ के बिना रे,बड़े से हो गए,माँ के बिना रे,जाएँ कहाँ रे,माँ के बिना रे,मन की पाती किसे सुनाएँ, माँ के बिना रे,कुछ भी न भाये, माँ के बिना रे,सच माँ के बिना बहुत कुछ चला जाता है,एक ऐसी रिक्तता आ जाती है,जिसे हम न्यौता नही देते,वो स्वतः ही आ जाती है