*किसी भी नाते को निरस्त नहीं, झट से दुरुस्त करने वाली सच की ही डिप्लोमेट रही तूं मां जाई* *संक्षिप्त,मधुर प्यारे से संबोधन,संवाद तेरे, जैसे शादी में हो शहनाई* *जाड़े की गुनगुनी धूप सी तूं, रही आमों पर जैसे अमराई* *तेरा साथ था इतना प्यारा जैसे तन संग होती है परछाई* *ना गिला ना शिकवा ना शिकायत कोई, हर मर्ज की बनी दवाई* *दिलों पर राज किया है तूने, सच तूं सागर की गहराई* *उम्र छोटी पर कर्म बड़े* आज फिर तेरी याद आई *दो बरस होने को हैं, जब ली थी तूने जग से विदाई* *लम्हे की खता बनी ना भूली जाने वाली दास्तान* *बहुत छोटा शब्द है तेरे लिए महान* कितने भी हालात विषम हों *हर रिश्ते में रही तेरे गरमाई* *एक किसी के ना होने से डसने लगती है तन्हाई* हेजली सी थी,मासूम सी थी *नातों में तुझे पसंद थी गहराई* *चिराग ले कर भी खोजो तो नहीं मिलेगी तुझ में कोई एक बुराई* "जैसे भीतर से वैसी ही बाहर से कभी दिखाई नहीं कोई चतुराई* *जैसी राम जी की मर्जी* *कुछ भी पूछने पर तूने बस यही पंक्ति दोहराई* *एक बात बहुत याद आती है तेरी मां जाई! *कहती थी तूं ये सदा जग में, सबसे आसान है करना पढ़ाई* *चाशनी सी ...