तन्हाई जब करती है कोलाहल,तब माँ याद आ जाती है। आती हैं जब गर्मी की छुटियाँ,तब माँ याद आ जाती है। ढलती है जब साँझ सुनहरी,तब माँ याद आ जाती है। कौन सी ऐसी शाम है,जब माँ याद नही आती है। नही मिलता जब प्यार माँ सा कहीं,तब माँ याद आ जाती है। दुखा देता है जब कोई दिल,तब माँ याद आ जाती है। खोलती हूँ जब पट अलमारी के,तब माँ याद आ जाती है। माँ बाप ही एक ऐसा रिश्ता है जो किसी शर्त पर प्यार नही करता, हम उन्हें दुःख भी देते है, तो भी प्रेम करते है।