कितने ही अच्छे से देख लो यह कायनात। मां से बढ़कर नहीं कोई गुरु, है सौ फ़ीसदी सच ये बात।। ं हर संज्ञा, सर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाली, मां के हम भी समझें जज्बात।। हर कब,क्यों,कैसे,कहां का उत्तर बन जाती है मां, चाहे हों कैसे भी हालात।। हर समस्या का मां बन जाती है समाधान। सदैव पहनती है ममता का परिधान।। भीतर से हो चाहे कितनी भी परेशान, बाहर बिखेरती है सदा मुस्कान।। फिर मां से बेहतर कोई गुरु कैसे हो सकता है, मेरे प्रश्न का उत्तर दे यह जहान।। Snehpremchand