सत्संग क्या है,एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना,एक दूसरे की ज़रूरत समझ कर यथासंभव पूरा करने का प्रयत्न करना,समर्थ का असहाय लोगों की सहायता के लिए खुद आगे बढ़ कर आना,माँ बाप का आजीवन ध्यान रखना,प्रेम करना,सेवा करना,केवल माँ बाप का ही नही ज़रूरतमन्द की सहायता करना, छोटों को प्रेम और मर्गदेर्शन करना,बेटियों को सदा बेटों के सामान शिक्षित करना,संस्कारवान बनाना,भूखे को रोटी देना,मधुर भाषा का प्रयोग,रिश्तों की गरिमा बनाये रखना ,हिंसा का मार्ग न अपनाना,प्राणियों पर दया भाव रखना यही सत्संग है, मानो चाहे न मानो,मंदिर,मस्ज़िद,तीर्थ धाम, सबसे बढ़ कर प्रेम का काम।। स्नेह प्रेमचंद