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दोहरी क्षति

माज़ी पर तो जोर नहीं पर मुस्तक बिल पर है हमारा अख्तियार। खोये रहेंगे गर हम माज़ी में दोहरी क्षति का मिलेगा उपहार।। जो बीत गया है वह दौर ना आएगा,  पर आने वाला है जो पल, वो हमारी कोशिशों से सुंदर बन जाएगा।।   स्नेहप्रेमचंद माज़ी---अतीत मुस्तकबिल---भविष्य