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लम्हा लम्हा बीते बरस पच्चीस

*लम्हा लम्हा बीते बरस 25* बन गई,ना भूली जाने वाली दास्तान* जीवन सफर होय सुहाना  संग हमसफर के, हर समस्या का मिल जाता है समाधान।।  हर स्पीड ब्रेकर पार हो जाए आसानी से, खुशियों का मिलता है इनाम।। सहजता दामन नहीं चुराती फिर चित से, जिजीविषा ओढ़े रहती है मुस्कान।। प्रेम ही आधार है इस नाते का, एक दूजे संग राहें हो जाती हैं आसान।। जोड़ी बनी रहे,मांग सजी रहे, मुस्कान यूं हीं लबों का बनी रहे परिधान।। पल पल  बदलते रूप जिंदगी के, कभी हैरान कभी परेशान। अनुभव की पाठशाला का,  हौले हौले आता है समझ विज्ञान।। हर मोड़ पर साथ रहे हमसफर का, इसी दुआ का मिले दोनों को वरदान।।             स्नेह प्रेमचंद