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कल से नहीं,आज से नहीं,अभी से(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कल से नहीं,आज से नहीं,अभी इसी क्षण से, हम सब को एक मुहिम चलानी है। धरती माता और गौ माता दोनो ही हमें बचानी हैं।। अपनी प्यारी हिसार नगरी पॉलिथीन मुक्त बनानी है।। बहुत सो चुके अब तो जाग लें, जागरूकता की सर्वत्र बयार चलानी है। सोच,कर्म,परिणाम की सर्वत्र त्रिवेणी बहानी है।। अपनी प्यारी हिसार नगरी पॉलिथीन मुक्त बनानी है।। स्वच्छता हो हर आंगन, गली,कूचे,गलियारे में, धरा अपनी भी बंजर नहीं बनानी है। गौ माता भी ना खाए पॉलिथीन कहीं अब, अपनी संस्कृति भी हमे बचानी है।। कल से नहीं,आज से नहीं,अभी इसी क्षण से एक मुहिम चलानी है।। आओ आज से नहीं,  अभी से करे पॉलिथीन का बहिष्कार। कपड़े का थैला हो शान हमारी, इसे संग रखना हो हमे स्वीकार।। कल से नहीं,आज से नहीं,अभी से यह मुहिम चलानी है। अपनी प्यारी हिसार नगरी हमे पॉलिथीन मुक्त बनानी है।। *अहम से वयम* की सोच  हर सोए चित में लानी है।। प्राथमिकताओं की फेरहिस्त में  *गौ माता और धरती माता*  दोनो ही सबसे ऊपर सजानी हैं। अपनी प्यारी हिसार नगरी पॉलिथीन मुक्त बनानी है।। मजबूरन नहीं, स्वेच्छा से यह सोच चित में बसानी है। घर से ...