जिस दिन तूं आई थी धरा पर नानी ने किया था धरा से प्रस्थान एक आई एक गई जहां से, ऐसा ही है विधि का विधान शुक्रगुजार हूं मैं ईश्वर और मेरी नानी की, जो मुझे मिले मां रूप में भगवान ईश्वर भी हैरान हो गया होगा तुझे बना कर मां, जाने किस मिट्टी से मां का हुआ होगा निर्माण गुण ही गुण समाहित हो गए मां के व्यक्तित्व में, एक भी अवगुण का नहीं मिला नाम ओ निशान मां बन कर मां मैने यह जाना मां हमारी थी कितनी महान आने वाली पीढ़ियां शायद ही यकीन कर पाएंगी मां तेरा दूजा नाम था समाधान