कभी कभी नहीं अक्सर मेरे दिल में ख्याल आता है अपनों के बिना सच कितना सूना है संसार। कोई राग ना हो कोई द्वेष ना हो,कोई कष्ट ना हो कोई क्लेश ना हो,हो निर्मल मन,न हो अहंकार।। किस बात के मन में मरोड़े, रहना है जब दिन यहां चार। बहुत छोटी है जिंदगी मनभेद के लिए, दूरियों की न चिने हम दीवार।। जाने कब आ जाए शाम जीवन की, सद्भाव ही हों हमारी सोच का आधार।। स्नेह प्रेमचंद