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Poem on Janmastmi मन कान्हा हो जाए(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

**मन कान्हा हो जाए तो  फिर काहे की दरकार??? जग रूपी कीचड़ में खिले  कमल से कान्हा, जाने ये सारा संसार।। मन कान्हा हो जाए तो  खुल जाएंगे मोक्ष द्वार। नहीं रहेगी फिर कोई खाई विषमता की, करेंगे सब एक दूजे का सत्कार।। **मन कान्हा हो जाए तो आ जाएगा समझ,प्रेम ही हर रिश्ते का आधार। प्रेम का अर्थ लेना नहीं,देना है, प्रेम से सुंदर हो जाता है संसार** **मन कान्हा हो जाएगा तो  समर्थ भी सारथी बनने में नहीं हिचकिचाएगा। मन कान्हा हो जाएगा तो  विचलित मन को गीता ज्ञान  समझ में अच्छे से आएगा** **मन कान्हा हो जाएगा तो धर्म अधर्म पर विजय पताका फहराएगा मन कान्हा होगा तो साधुओं की होगी सदा रक्षा,बुराई का अंत हो जाएगा** **मन कान्हा हो जाए तो कोई शांति प्रस्ताव नहीं ठुकराएगा और कोई महाभारत नहीं हो पाएगा** **मन कान्हा होगा तो कोई धनी निर्धन का भेद ना होगा हर माधव का मित्र हर सुदामा हो जाएगा** **मन कान्हा होगा तो धरा पर ही स्वर्ग आ जाएगा जर्रा जर्रा मथुरा वृदावन और द्वारका हो जाएगा** **मन कान्हा होगा तो जग राधामय हो जायेगा** **मन कान्हा होगा तो कोई शिशुपाल 99 बार गाली दे ...