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POEM ON GANDHI JI(( thought by Sneh premchand))

मो==हन दास कर्मचंद गांधी, नाम ही नहीं, है यह सम्पूर्ण युग और बहुत बड़ी विचारधारा *सत्य,अहिंसा,त्याग की त्रिवेणी* गांधी जी स्वच्छता का आपने ही दिया था नारा *विश्व शांति दिवस*के रूप में मनाया जाता है गांधी दिवस*  सत्य जाने यह जग सारा हे बापू! हे राष्ट्रपिता! आपने ही आजाद वतन का  सपना संवारा *चश्मा,लाठी,धोती, चरखा* हर प्रतीक प्रतिबिंब आपके प्रभावी व्यक्तित्व का,इतिहास आपने भारत का संवारा स्वपनदृष्टा गांधी जी  बने  सदा हारे का सहारा ह==र  विषम परिस्थिति में किया अहिंसक प्रतिरोध, सत्य,अहिंसा से लोगों का मार्ग दर्शन  कर कष्टों के भव सागर से तारा प्रेम और शांति का सपना देखा, भय,घृणा,हिंसा से सदा किया किनारा न==मक कर को तोड़ने के लिए दांडी  मार्च किया आपने, खादी अपनाई, जात पात के भेद को सदा नकारा जलियां वाला बाग हिंसा से व्यथित होकर *केसर ए हिंद* की उपाधि लौटा बता दिया, हिंसा किसी हाल में ने होगी हमें गवारा दा==सता की बेड़ियां क्यों पहनें हम,भाव आजादी का रहा जिन्हें सदा प्यारा सब आजाद हो,सब निर्भय हों, शांत धरा उन्मुक्त गगन का भाव रहा जिन्हें सदा ही प्यारा अधनंगा,फकीर भ