महाभारत रण में जैसे अर्जुन ने माधव ज्ञान को ही दिया हो नकार ऐसा ही होता है जब छोटे बड़ों की सलाह को नहीं करते अंगीकार बार बार कहती है खुद शिक्षा मेरे भाल पर सोहे टीका ए संस्कार बिन संस्कार है ऐसी शिक्षा जैसे दिल बिन धड़कन,सुर बिन सरगम,बिन मां के जैसे संसार