प्रेम,प्रतिबद्धता,सहजता,विश्वास यही बनाती हैं जीवन को ख़ास इन सब से ओत प्रोत हो गर जीवनसाथी हर दिन उत्सव है बिन प्रयास किसी ख़ास दिन का मोहताज नही होता जश्न फिर पल पल जश्न का होता है आगाज़ माँ बाप और जीवनसाथी सजता है इनसे जीवन का साज रहे सदा सजा ये साज प्रीतम बस आती है दिल से यही आवाज़ साथ अगर होता है स्नेहिल पंखों को मिल जाती है परवाज़ मधुर संवाद,परवाह,स्पेस,स्मर्पण अनुराग आधार सतंभ ये दांपत्य जीवन के, फिर महकता ये नाता जैसे पुष्प में पराग मतभेद भले ही हो जाएं, पर मनभेद की ना चले कभी बयार प्रेम की बहे सतत धारा, चित में आए ना कोई विकार