जन्मदिन पर जन्म देने वाली याद आ ही जाती है। अपनी जाने कितनी इच्छाएं दबा कर,हमारी हर खुशी को कर पूरा,मुस्कान हमारे लबों पर लाती है।। और कोई नही मेरे दोस्तों,वही तो माँ कहलाती है। हमारी कितनी ही कमियों को कर नज़रंदाज़ हमे अपने चित्त में बसाती है।। समय बेशक बीता जाए, पर वो याद आ ही जाती है। और अधिक कुछ नही कहना, बस उसके न होने से सहजता जीवन से दामन चुराती है।। ईश्वर का पर्याय है माँ, अपनी जान पर खेल कर हमें जग में लाती है।। हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाली एक दिन जग से बेशक चली जाती है, पर जेहन में बस जाती है ऐसे, जैसे एक सांस आती है, एक सांस जाती है।। लफ्ज़ हैं हम, वो पूरा शब्दकोश बन जाती है।। कितनी अच्छी,कितनी प्यारी होती है मां जो हर समस्या का समाधान बन जाती है।। अपनी जान पर खेल कर हमे इस जग में लाती है।। अधिक तो नहीं आता कहना, मुझे तो मां ईश्वर के समकक्ष नजर आती है।। मैने भगवान को तो नहीं देखा, पर जब जब याद किया मां को, कोई रूहानी शक्ति चेतना में स्पंदन कर जाती है।। वो दे रही होगी दुआएं आज भी तेरे जन्मदिन पर, ये लेखनी मुझ से शब्द नहीं, भाव लि...