दिन,महीने,साल यूँ ही गुजरते जाएंगे,आज हो गए माँ को गये चार महीने,एक दिन चार साल भी हो जाएंगे,समय की धारा को तो यूँ ही चलते जाना है,हुआ है जो ये इतना भारी बिछोड़ा,बड़ा मुश्किल इसे भुलाना है,भुलाएँ भी क्यों इसे, माँ के व्यक्तित्व से हम सबको सद्गुणों को चुराना है,मिले शांति उनकी दिवंगत आत्मा को,आज हम सब को यही दोहराना है