कभी धूप कभी छांव सी रही जिंदगी तेरी,मगर ना गिला,ना शिकवा,ना की शिकायत कोई। यूं तो जग के मेले में मिलते बहुत हैं, पर तुझ सा फिर ना मिला कोई।। तेरा नहीं ये सौभाग्य है हमारा, जो तूं शामिल रही जिंदगी में हमारी,खिली जिंदगी के सागर में कमल सी,तुझ जैसा खिला ना और कोई।।