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सागर से

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ताने बाने thought by sneh premchand

रिश्तों के ये ताने बाने,  हमें तो समझ नहीं आते हैं। लम्हा दर लम्हा उलझते ही रहते हैं, बेशक हजारों मर्तबा, हम इनको सुलझाते हैं।।          स्नेह प्रेमचंद