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रेजा रेजा

रेजा रेजा

रेजा रेजा सी

ज़ार जार (, Thought by Sneh premchand)

गर कर लिया होता समय पर

गीत में सरगम thought by sneh premchand

रूह हो गई रेजा रेजा

रूह ने तन से thought by sneh premchand

रूह ने एक दिन कहा तन से,एक नियत समय के लिए बंधू होता है जग में तेरा बसेरा,तुझे तो ये भी नही पता,कब आ जायेगी साँझ जीवन की,कोण सा होगा तेरा अंतिम सवेरा,फिर भी मोह माया में रहता है लिप्त तू,करता है अपने माटी के पुतले पर गुमान,तेरी सुंदरता तो है चार दिनों की,है तू भी चन्द दिनों का मेहमान,कीचड़ में कमल की तरह साथी,क्यों तुझको रहना नही आया,अपने रूप और यौवन पर तू जाने कितनी बार इतराया,बार बार जा मुक्तिधाम भी,क्यों तुझ को सत्य समझ नही आया?रूह के तन से पूछे गए इस प्रश्न का जवाब क्या आप के पास है,कोशिश कीजिये