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बूंद बूंद बनता है सागर

बूंद बूंद बनता है सागर लम्हा लम्हा बनती जिंदगानी जिंदगी और कुछ भी नहीं सच में तेरी मेरी कहानी अनुभव  से बड़ा नहीं कोई शिक्षक हर अनुभव की चित में निशानी

बूंद बूंद बनता है सागर

बूंद बूंद बनता है सागर, लम्हा लम्हा बनती है जिंदगानी। जिंदगी और कुछ भी नहीं, है बस तेरी मेरी कहानी।। आने वाला पल सच में ही जाने वाला है। वर्तमान बदल जाता है इतिहास में, भविष्य भी जाने क्या खबर लाने वाला है।। ये जीवन है,इस जीवन का यही है यही है रंग रूप कभी छांव है और कभी है चुभती सी धूप।।