कौन कहता है वक्त संग याद धूमिल हो जाती है?? कौन सी ऐसी भोर सांझ है जब तूं याद नहीं आती है?? *पुष्प में पराग सी,संगीत में राग सी, जिक्र जेहन दोनों में अंकित हो जाती है* *हानि धरा की लाभ गगन का* तेरे बिछौड़े से बात यही समझ में आती है *तूं तो हिना सी रही मां जाई! जो लम्हा लम्हा धानी से श्यामल हो जाती है* *परिंदे में पंख सी,परीक्षा में अंक सी,तेरा मधुर व्यवहार और तेरी मीठी बोली तो संजीवनी बूटी बन जाती है* चूल्हे में आग सी,संगीत में राग सी, चित चेतना में बस जाती है *बहन से अच्छा कोई मित्र हो ही नहीं सकता, बहन तो कभी बेटी,कभी मां,कभी राजदार जाने क्या क्या किरदार निभाती है* *अभाव बताता है तेरा प्रभाव कितना गहरा था, मेरी छोटी सी सोच मुझे तो यही समझाती है*